चार्जशीट में खामी की वजह से खेतान बरी

दिल्ली पुलिस की ओर से दायर चार्जशीट में खामी होने पर अदालत ने आप नेता आशीष खेतान को साल 2014 के आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े मामले में बरी कर दिया। अडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट जितेंद्र सिंह ने अपने आदेश में कहा कि क्योंकि पुलिस ने कानूनी प्रावधानों को सही तरह से फॉलो नहीं किया, मामले में दायर की गई चार्जशीट गलत है। आरोप तय नहीं किए जा सकते।

रंजीत नगर पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि 3 अप्रैल 2014 को शाम 5 बजे आशीष खेतान ने कठपुतली कॉलोनी के पास अपने समर्थकों के साथ एक जुलूस निकाला। इसमें 6 गाड़ियां भी शामिल हुईं, जिनमें से एक गाड़ी के लिए चुनाव आयोग के रिटर्निंग ऑफिसर से इजाजत नहीं मिली थी। खेतान ने कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया।

जांच अधिकारी ने 19 जनवरी 2015 में आप नेता के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत सरकारी आदेश के उल्लंघन के आरोप में चार्जशीट दायर की। आरोपों पर बहस चल रही थी। मैजिस्ट्रेट जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर कंप्लेंट किसी ऐसे पब्लिक सर्वेंट की ओर से दायर की गई हो जिसके आदेश का उल्लंघन न हुआ हो तो कोर्ट इस धारा के तहत आरोप पर संज्ञान नहीं ले सकती। कोर्ट को यह मानने में जरा भी झिझक नहीं है कि कंप्लेंट दर्ज कराने वाले एसीपी संबंधित पब्लिक सर्वेंट की कैटेगरी में नहीं आते।

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने चार्जशीट के तकनीकी और तथ्यात्मक रूप से बिल्कुल सही होने का दावा किया था। खेतान की ओर से ऐडवोकेट इरशाद ने दलील दी कि वह साल 2014 में संसदीय चुनावों के दौरान नई दिल्ली से कैंडिडेट थे और अपने अधिकार वाली 10 विधानसभाओं के अंदर प्रचार में लगे थे, लेकिन पुलिस ने सात दिन के अंदर उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कर लीं। इस मामले में रंजीत नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई।