308 जिलों में लागू होगी अल्पसंख्यक कल्याण की यह योजना

केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण की एक योजना का दायरा बढ़ाकर अब इसे 308 जिलों में लागू करने जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे में सुधार की यह स्कीम अभी देश के 196 जिलों में लगी है। इसके लिए पिछले साल बजट में 3,972 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। अभी यह प्रोग्राम 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है जिसका विस्तार अब 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जाएगा। जिन राज्यों के ज्यादा से ज्यादा जिलों को इस प्रोग्राम के तहत लाभ मिलेगा उनमें उत्तर प्रदेश (43), महाराष्ट्र (27), कर्नाटक, बंगाल और राजस्थान (16-16), गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, केरल (13-13), तमिलनाडु (12), मध्य प्रदेश (8), हरियाणा और मणिपुर (7-7) और पंजाब (2) शामिल हैं। इस कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में स्कूल, छात्रावास आदि का निर्माण तथा अन्य विकास योजनाओं को चलाया जाएगा।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘पीएमजेवीके (प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम) के तहत 33 फीसदी से 40 फीसदी संसाधन खासतौर पर महिला केंद्रित परियोजनाओं के लिए आवंटित किया जाएगा।’ मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पीएमजेवीके के तहत 80 फीसदी संसाधनों को शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास से संबंधित परियोजनाओं के लिए निर्धारित किया जाएगा। मंत्रालय के मुताबिक, यह पिछड़ापन के मापदंड पर राष्ट्रीय औसत और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच की खाई को पाटने का प्रयास है।

शर्तों में केंद्र ने दी ढील
इस प्रोग्राम को 2008 में लॉन्च किया गया था जिसका नाम उस समय मल्टि सेक्टोरल डिवेलपमेंट प्रोग्राम (एमएसडीपी) था जिसका नाम बदलकर अब पीएमजेवीके हो गया है। इसके दायरे में अब पांच और राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, नगालैंड, गोवा और पुडुचेरी शामिल होंगे। इसके अलावा अल्पसंख्यक बहुल सबसे पिछड़े 61 जिलों को भी इसके दायरे में लाया गया है।

स्कीम का दायरा बढ़ाने के साथ ही सरकार ने अल्पसंख्यक बहुल शहर (एमसीटी) और गांव समूहों की पहचान की शर्तों में ढील दी है। किसी शहर या गांव समूहों को अल्पसंख्यक बहुल जिला या गांव समूह घोषित करने के लिए आबादी के प्रतिशत नियम और पिछड़ापन के पैरामीटर्स में भी छूट दी गई है। पहले के नियम के मुताबिक उन शहरों को ही एमसीटीएस माना जाता था जो बुनियादी सुविधाओं और सामाजिक-आर्थिक पैरामीटर्स दोनों में पिछड़े होते थे। लेकिन अब दोनों में से किसी भी मापदंड पर शहर को पिछड़ा होने पर उसे एमसीटीएस में शामिल किया जाएगा। अब आबादी के प्रतिशत नियम में भी बदलाव किया गया है। पहले उन गांव समूहों को ही इस श्रेणी में रखा जाता था जहां कुल आबादी का कम से कम 50 फीसदी अल्पसंख्यक होते थे लेकिन अब इसे घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया है।