इंस्टाग्राम पर लड़कियों पर गंदी बात, हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के पास बढ़ीं शिकायतें

टीनएजर्स की कुछ हरकतों ने उनके पेरेंट्स की टेंशन बढ़ा दी है। बच्‍चे सोशल मीडिया पर अश्‍लील चैट्स कर रहे हैं। दिल्ली का पॉश इलाका माने जाने वाले साउथ दिल्‍ली के एक केस ने इस प्रॉब्‍लम को मेनस्‍ट्रीम में ला दिया है। यहां के एक स्‍कूल में पढ़ने वाले कुछ बच्‍चे ‘बॉयज लॉकर रूम’ नाम से ग्रुप बनाकर अश्‍लील चैट्स करते थे। जांच में पता चला है कि इस ग्रुप को एक सप्ताह पहले बनाया गया था और एडमिन समेत इसमें 21 लोग शामिल हैं। कथित छात्रों के समूह ने अपने साथ पढ़ने वाली एक लड़की को यौन उत्पीड़न और उसकी तस्वीर ऑनलाइन अपलोड करने की धमकी दे रहा था। पुलिस फिलहाल सबकी छानबीन कर आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। मगर बड़ा सवाल ये है कि बच्‍चे उस दिशा में जा क्‍यों रहे हैं। और यही बात पेरेंट्स को परेशान कर रही है।

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के पास बढ़ीं शिकायतें

साइकियाट्रिस्‍ट्स के पास ऐसी शिकायतों की संख्‍या बढ़ी हैं जिनमें बच्‍चे या तो पॉर्न देखने के लती होते हैं या डिजिटल एडिक्‍शन के शिकार होते हैं। किशोर वर्ग अपनी उम्र छिपाकर डेटिंग ऐप्‍स पर प्रोफाइल बना रहा है, अजनबियों से अश्‍लील चैट्स कर रहा है। कभी-कभी तो आपत्तिजनक तस्‍वीरें भी साझा की जाती हैं। पेरेंट्स ऐसी शिकायतें लेकर मेंटल हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के पास पहुंच रहे हैं। एक्‍सपर्ट्स कहते हैं कि बोरियत की वजह से बच्‍चे एक्‍सपेरिमेंट के तौर पर ऐसी चीजें शुरू करते हैं, फिर उसके आदी हो जाते हैं।

टीनएजर्स क्‍यों करते हैं ऐसा?

सीनियर साइक्रियाट्रिस्‍ट डॉ जिरक मार्कर कहते हैं, “टीनएजर्स को कैसे भी अपना स्‍पेस और प्राइवर्स चाहिए। लॉकडाउन से पहले, वे स्‍पोर्ट्स, स्‍कूल/कॉलेज जाना, दोस्‍तों के साथ घूमना या अन्‍य आउटडोए एक्टिविटीज में लगे रहते थे। जब वह सब बंद है तो बच्‍चे वर्चुअल वर्ल्‍ड का रुख करते हैं। पेरेंट्स बच्‍चों को गैजेट्स यूज करने से रोक नहीं सकते क्‍योंकि लॉकडाउन की वजह से पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। जब एक किशोर बोर होता है तो वह ऑनलाइन एक्‍सपेरिमेंट शुरू करता है। वह अपनी यौन इच्‍छाओं की सीमाओं से परे चला जाता है। हम टीनएजर्स में साइबर बुलींग और सेक्‍सुअल कॉन्‍टेंट एक्‍सेस करने में मामलों में बढ़त देख रहे हैं। पेरेंट्स चौबीसों घंटे तो निगरानी नहीं कर सकते, मगर उन्‍हें बच्‍चों से बात जरूर करनी चाहिए।”

बच्‍चों में बढ़ रहा है डिजिटल एडिक्‍शन

साइकोथिरेपिस्‍ट एंड स्‍पेशल एजुकेटर अलिशा लालजी कहती हैं, “किशोरों में डिजिटल एडिक्‍शन बढ़ रहा है। उनके पॉर्न देखने में भी इजाफा हुआ है। बच्‍चे अपनी उम्र गलत बताकर डेटिंग ऐप्‍स पर अकाउंट्स बना रहे हैं। अजनबी पार्टनर्स संग बहुत सारी ऑनलाइन चैटिंग होती है, शायद अपनी बोरियत में थोड़ा स्‍पार्क लाने के लिए। बच्‍चों को ये भी पता है कि ऐसी ऐप्‍स को हिडेन कैसे करना है ताकि पेरेंट्स को पता ना लगे।” लालजी ने कहा कि वह 13 से 15 साल की उम्र के बच्‍चों में खुद को चोट पहुंचाने के ट्रेंड को नोटिस कर रही हैं।

नशे का सहारा लेने लगे हं बच्‍चे

बहुत से टीनएजर्स ऐसे हैं जिन्‍होंने घर में कभी इतना वक्‍त अपने पेरेंट्स के साथ नहीं बिताया है और वे उनसे बॉन्डिंग नहीं बना पा रहे। जब पेरेंट्स बच्‍चों को डिसिप्‍लीन समझाते हैं तो वे गुस्‍सा करने लगते हैं। क्लिनिकल साइकॉलजिस्‍ट सीमा हिंगोरैनी कहती हैं, “बाहर ना निकले पाने कर वजह से, बहुत से बच्‍चे कम्‍प्‍लेन कर रहे हं कि वे स्‍मोकिंग, ड्रिकिंग जैसी लतों से कोप-अप नहीं कर पा रहे। अपनी रिलेशनशिप्‍स उनसे संभल नहीं रहीं और सुसाइड के खयाल मन में आ रहे हैं।” पेरेंट्स अब बच्‍चों पर हाथ भी ज्‍यादा उठाते हैं। बच्‍चों की पिटाई के केसेज बढ़े हैं।

क्‍या है इन सबका उपाय?

डॉ हिंगोरैनी कहती हैं कि “लॉकडाउन का असर टीनएजर की मेंटल हेल्‍थ पर वायरस आउटब्रेक खत्‍म होने के महीनों बाद तक दिखता रहेगा। पेरेंट्स को यह समझना होगा कि टीन्‍स के लिए ऐसे हालात में खुद को हैंडल कर पाना बेहद चैलेंजिंग हैं। जब इन हालात में कोई कम्‍युनिकेशन नहीं होता तो ब्रेकडाउन हो जाता है। पेरेंट्स को अपने बच्‍चों को थोड़ा समय देना चाहिए और उन्‍हें बाहर जाने देना चाहिए।”