‘बॉयज लॉकर रूम’ मामला, इंस्टाग्राम चैट के आधार पर केस दर्ज

दिल्ली का पॉश इलाका माने जाने वाले साउथ दिल्‍ली के एक स्‍कूल में पढ़ने वाले कुछ बच्‍चे ‘बॉयज लॉकर रूम’ नाम से ग्रुप बनाकर अश्‍लील चैट्स करते थे। जांच में पता चला है कि इस ग्रुप को एक सप्ताह पहले बनाया गया था और एडमिन समेत इसमें 21 लोग शामिल हैं। कथित छात्रों के समूह ने अपने साथ पढ़ने वाली एक लड़की को यौन उत्पीड़न और उसकी तस्वीर ऑनलाइन अपलोड करने की धमकी दे रहा था। पुलिस फिलहाल सबकी छानबीन कर आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने स्कूल के छात्रों के एक कथित समूह के सोशल साइट इंस्टाग्राम पर चैट के आधार पर यह केस दर्ज किया है। कथित छात्रों के समूह ने अपने साथ पढ़ने वाली एक लड़की को यौन उत्पीड़न और उसकी तस्वीर ऑनलाइन अपलोड करने की धमकी दे रहा था। छात्रों के चैट का स्क्रीनशॉट सोमवार को ट्विटर पर काफी शेयर किया गया था और #boyslockerroom दिनभर ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में था।

दिल्ली महिला आयोग ने इंस्टाग्राम को भेजा नोटिस

दिल्ली महिला आयोग ने सोशल मीडिया कंपनी इस प्राइवेट ग्रुप के संबंध में नोटिस भेजा है। आयोग ने इंस्टाग्राम से एडमिन और इस समूह के सभी सदस्यों की जानकारी 8 मई तक मांगा है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस से FIR की जानकारी मांगी गई है। पुलिस ने इस समूह के 15 वर्षीय एक कथित आरोपी की पहचान कर ली है और उससे संपर्क में है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुछ कॉलेज के छात्र भी इस समूह से जुड़े हो सकते हैं।

साइबर सेल ने कई धाराओं के तहत दर्ज किया मामला

साइबर सेल के डीसीपी अन्वेश रॉय ने कहा, ‘हमने वायरल स्क्रीनशॉट का स्वत: संज्ञान लेते हुए आईटी ऐक्ट के सेक्शन 67, 67A के तहत केस दर्ज कर लिया है। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 465 (फर्जीवाड़ा के लिए दंड) 469 (साख पर धब्बा लगाने के लिए फर्जीवाड़ा) और 471 (फर्जीवाड़ा) के तहत भी मामला दर्ज किया है।’

पुलिस ने ग्रुप के एक सदस्य की पहचान की

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमने एक नाबालिग से बात की है। उसने हमें बताया वे अपने साथ पढ़ने वाली लड़की की फोटो को मार्फ नहीं कर रहे थे। उसने बताया कि वह इस समूह के कई लोगों को नहीं जानता है क्योंकि वे सभी दूसरे स्कूल के हैं। जैसे इस कथित ग्रुप का स्क्रीनशॉट्स वायरल हुआ इसे डिलीट कर दिया गया और ‘लॉकररूम 2.0′ के नाम से एक अन्य ग्रुप बना लिया गया। इस ग्रुप में लड़की को भी ऐड किया गया था।’

तीन-चार स्कूल के बच्चे ग्रुप में शामिल

जांच में पता चला है कि इस ग्रुप को एक सप्ताह पहले बनाया गया था और एडमिन समेत इसमें 21 लोग शामिल हैं। इस ग्रुप में तीन-चार स्कूल के बच्चे, जिसमें एक स्कूल दक्षिण दिल्ली में स्थित है, शामिल हैं। कुछ छात्रों ने कहा कि वे इस ग्रुप में शामिल जरूर हैं लेकिन कोई मैसेज नहीं डाला है। इस ग्रुप की करतूतों के खिलाफ सोशल मीडिया में कैंपेन चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में लड़कियां भी शामिल हैं।

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के पास बढ़ीं शिकायतें

साइकियाट्रिस्‍ट्स के पास ऐसी शिकायतों की संख्‍या बढ़ी हैं जिनमें बच्‍चे या तो पॉर्न देखने के लती होते हैं या डिजिटल एडिक्‍शन के शिकार होते हैं। किशोर वर्ग अपनी उम्र छिपाकर डेटिंग ऐप्‍स पर प्रोफाइल बना रहा है, अजनबियों से अश्‍लील चैट्स कर रहा है। कभी-कभी तो आपत्तिजनक तस्‍वीरें भी साझा की जाती हैं। पेरेंट्स ऐसी शिकायतें लेकर मेंटल हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के पास पहुंच रहे हैं। एक्‍सपर्ट्स कहते हैं कि बोरियत की वजह से बच्‍चे एक्‍सपेरिमेंट के तौर पर ऐसी चीजें शुरू करते हैं, फिर उसके आदी हो जाते हैं।

टीनएजर्स क्‍यों करते हैं ऐसा?

सीनियर साइक्रियाट्रिस्‍ट डॉ जिरक मार्कर कहते हैं, “टीनएजर्स को कैसे भी अपना स्‍पेस और प्राइवर्स चाहिए। लॉकडाउन से पहले, वे स्‍पोर्ट्स, स्‍कूल/कॉलेज जाना, दोस्‍तों के साथ घूमना या अन्‍य आउटडोए एक्टिविटीज में लगे रहते थे। जब वह सब बंद है तो बच्‍चे वर्चुअल वर्ल्‍ड का रुख करते हैं। पेरेंट्स बच्‍चों को गैजेट्स यूज करने से रोक नहीं सकते क्‍योंकि लॉकडाउन की वजह से पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। जब एक किशोर बोर होता है तो वह ऑनलाइन एक्‍सपेरिमेंट शुरू करता है। वह अपनी यौन इच्‍छाओं की सीमाओं से परे चला जाता है। हम टीनएजर्स में साइबर बुलींग और सेक्‍सुअल कॉन्‍टेंट एक्‍सेस करने में मामलों में बढ़त देख रहे हैं। पेरेंट्स चौबीसों घंटे तो निगरानी नहीं कर सकते, मगर उन्‍हें बच्‍चों से बात जरूर करनी चाहिए।”