अब होगी तीन तलाक देने पर सजा , सरकार ने पास किया अध्यादेश

केंद्रीय मंत्रीमंडल ने बुधवार को तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को पास कर दिया है. तीन तलाक बिल को संसद के दोनों सदनों में पास कराने में असफल रहने पर केंद्र सरकार ने अध्यादेश का रास्ता चुना है.

इस अध्यादेश में मुस्लिम वीमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट की तरह ही प्रावधान होंगे. इस बिल को पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पारित कर दिया गया था. हालांकि राज्यसभा में जहां सरकार के पास संख्याबल कम है वहां हंगामे के चलते इस बिल पर बहस भी नहीं हो पाई थी.

राज्यसभा में लंबित है बिल

मोदी कैबिनेट ने भले ही अध्यादेश पास कर दिया है लेकिन इसे संसद में पास कराना सरकार के लिए अनिवार्य होगा. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2017 में फैसला दिया था कि अध्यादेश लाने की शक्ति कानून बनाने के लिए समांतर ताकत नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि किसी बिल के पास नहीं होने पर उसके लिए अध्यादेश लाना संविधान के साथ धोखाधड़ी है और इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है.

तीन तलाक बिल का राज्यसभा में कड़ा विरोध हुआ था. विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि इस बिल को कड़े परीक्षण के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए. प्रस्तावित कानून पर बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों से राय भी मांगी थी. ज्यादातर राज्य सरकारों ने इसका समर्थन किया था.

तलाक-ए-बिद्दत को अपराध की श्रेणी में रखा गया

इस बिल के तहत तुरंत तीन (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध की श्रेणी में रखा गया. अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है. इस बिल में मुस्लिम महिला को भत्ते और बच्चों की परवरिश के लिए खर्च को लेकर भी प्रावधान है. इसके तहत मौखिक, टेलिफोनिक या लिखित किसी भी रूप में एक बार में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया गया है.

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी और असंवैधानिक करार दिया था. तीन तलाक के संबंध में कई मुस्लिम महिलाओं ने याचिका लगाई थी कि उनके पतियों ने उन्हें स्काइप या वॉट्सऐप के जरिये तलाक दिया है और उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है.