उत्तर प्रदेश में आधे से ज्यादा अंत्योदय कार्डधारक अपात्र, लेकिन सरकारी कृपा के पात्र

स्वामीनाथ शुक्ल | hdnlive
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 40 लाख अंत्योदय कार्डधारक(Antyodaya card) है। इसमें आधे से ज्यादा अंत्योदय कार्डधारक करोड़पति बन चुके हैं। लेकिन लाल कार्ड वाले 23 साल से सरकारी कृपा के पात्र बने हैं। जिससे 2000 से गरीबी रेखा के नीचे वाली सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। जबकि लाल कार्ड के असली पात्र सरकारी योजनाओं को पाने के लिए भूखे पेट अफसरों के सामने खड़े हैं। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। लाल कार्ड धारकों को हर महीने 35 किलो गेहूं, चावल और 3 किलो चीनी मिलती है। सालाना 5 लाख का बीमा और 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज होता है। सरकारी आवास, उज्जवल गैस सिलेंडर, मुफ्त बिजली कनेक्शन, छात्रों को वजीफा,फीस माफ साथ में गरीबों से जुड़ी सभी योजनाओं का सीधे लाभ मिलता है। प्रधानमंत्री अन्न कण्याण योजना में तीन साल से मुफ्त राशन मिलता है।

पूर्ति विभाग के अधिकारी जाँच नहीं कर रहे है

दो साल पहले अमेठी जनपद की ग्राम पंचायत रामदैयपुर की खुली बैठक में अंत्योदय कार्डधारकों के 13 करोड़पति परिवारों के नाम काटने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए गए थे। इनके स्थान पर गरीबी रेखा से जुड़े बेसहारा, दिव्यांग, कैंसर रोगी, कुष्ठरोग, मानसिक बीमारी, असाध्य रोगियों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित और भूमिहीन परिवारों को जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया था।लेकिन अमेठी तहसील में पूर्ति विभाग के अधिकारियों ने अबतक किसी का नाम काटा नहीं है। जबकि खुली बैठक के प्रस्ताव पर ग्राम विकास अधिकारी हेमंत पांडेय, ग्राम प्रधान आरती शुक्ला,एडीओ पंचायत, खंड विकास अधिकारी और डिप्टी कलेक्टर प्रीति तिवारी तक अनुमति दे चुकी है। लेकिन पूर्ति विभाग 13 करोड़पति अंत्योदय कार्डधारकों की फाइल दबाकर बैठे है।प्रधान प्रतिनिधि अविनाश शुक्ल की अर्जी पर योगी के प्रभारी मंत्री गिरीश चंद्र यादव तक कह चुके हैं। लेकिन पूर्ति विभाग लेन-देन के चक्कर में फाइल दबाकर रखा है।कहा जाता है कि पूर्ति विभाग एक कार्ड पर पांच हजार रुपए लेता है। 65 हजार रुपए की मांग की गई थी। लेकिन प्रधान दिए नहीं थे। इसी लिए नाम कटा नहीं है। जबकि दो साल में चार पूर्ति इंस्पेक्टर, प्रतिभा, योगेश कुमार, मनोज कुमार और विजय प्रसाद बदल चुके हैं।अब योगेश वर्मा पुनः चार्ज पर लौटे है।

भ्रष्टाचार घटा नहीं है

इस संबंध में वर्मा ने कहा कि उन्हें चार्ज लिए दो दिन हुए हैं। बाकी फाइल की जानकारी नहीं है। पूर्ति विभाग के भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा के बड़े बड़े पदाधिकारी तहसील के अंदर धरना प्रदर्शन तक कर चुके हैं। इसके बाद जिलाधिकारी चार पूर्ति निरीक्षकों और पटल सहायकों के कार्यक्षेत्र बदल दिए थे। लेकिन भ्रष्टाचार घटा नहीं है।राशन उठाने के पहले कोटेदारों से अवैध रूप से जेब भरने का काम बंद नहीं है। जिससे कोटेदार अवैध वसूली की भरपाई के लिए कार्डधारकों के राशन में घटतौली करते हैं। कोटेदार संघ के अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने कहा कि 23 साल पहले अंत्योदय कार्ड बने थे। तबके गरीब अब अमीर बन चुके हैं।हर ग्राम सभा में आधे से ज्यादा करोड़पति हैं। लेकिन पूर्ति विभाग सूची देने के बाद भी नाम काटता नहीं है।सराय बागवानी के प्रधान ललित सिंह ने कहा कि अंत्योदय कार्ड का इस्तेमाल अमीर कर रहे हैं। गरीबों को नहीं मिल रहा है। गंगौली के कोटेदार अमित शुक्ल ने बताया कि अंत्योदय कार्ड में आधे से ज्यादा अपात्रों को राशन मिल रहा है। लेकिन कोटेदार कुछ भी नहीं कर सकते हैं। पच्चीस लाख की सफारी और रिवाल्वर पिस्टल वाले सरकारी राशन ले रहे हैं।

पूर्ति विभाग एक कार्ड पर पांच हजार रुपए की मांग करता है

एक कोटेदार ने बताया कि ज़मीन जायदाद, सरकारी नौकरी वाले भी पात्र बने हैं। केवल अमेठी में 70378 हजार अंत्योदय कार्डधारक है। यही हाल सभी जनपदों में है। अंत्योदय कार्ड योजना में नाम काटने और जोड़ने का अधिकार है। लेकिन 23 साल से नाम कटे नहीं है। जबकि ग्राम पंचायतों की खुली बैठक में प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी सामूहिक रूप से नाम हटाने और जोड़ने का प्रस्ताव पूर्ति विभाग को भेजते हैं। लेकिन पूर्ति विभाग एक कार्ड पर पांच हजार रुपए की मांग करता है। जिससे प्रस्ताव पर नाम काटने और जोड़ने का काम नहीं होता है। यही कारण है कि 23 साल से अपात्रों को योजना का लाभ मिल रहा है। लेकिन अधिकारी नाम काटने और जोड़ने के पचड़े में नहीं पड़ते है।

ठीक से जाँच हो

कांग्रेस के पूर्व विधायक दीपक सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में तीन दशक से कांग्रेस सत्ता के बाहर हैं। जिससे भ्रष्टाचार चरम पर है। अंत्योदय कार्ड धारकों की जांच के लिए सांसद विधायक सदन में मुद्दे उठा चुके हैं। लेकिन कुर्सी बचाने के चक्कर में किसी भी सरकार में अंत्योदय सूची की जांच नहीं की गई है। जिससे गरीबों के नाम का हक अमीर उठा रहे हैं। लाल कार्ड योजना का लाभ आवास विहीन, भूमिहीन, असाध्य रोग से पीड़ित घर का मुखिया, निराश्रित विधवा आदि के लिए है। एक अधिकारी ने बताया कि जमीनी स्तर पर जांच होगी तो नब्बे फीसदी अंत्योदय कार्ड कट जाएंगे। केवल दस फीसदी बचेंगे।