देशभर के मंदिरों में नागपंचमी के दिन उमड़ा जनसैलाब

स्वामीनाथ शुक्ल । hdnlive
लखनऊ । सावन महीने का सातवां सोमवार और नागपंचमी एक साथ पड़ने से शिव मंदिरों में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और दर्शन पूजन हवन का विशेष महत्व बताया जाता है। जिससे देशभर के शिव मंदिरों में महाकाल के भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा था। मध्यप्रदेश में महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी रुपेश ने बताया कि इस बार नागपंचमी और सावन का सातवां सोमवार एक साथ पड़ने से अदभुत संयोग बना था। जिससे शिव मंदिरों में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और दर्शन पूजन हवन का विशेष महत्व था। महाकाल के भक्त विशेष फल प्राप्त करने के लिए करीब आठ लाख श्रद्धालुओं का मेला उज्जैन में था। उन्होंने बताया कि उज्जैन के किसी भी होटल में रुकने की व्यवस्था नहीं है। होटल, धर्मशाला अतिथि गृह सब भरे पड़े हैं।

मंदिर में दर्शन पूजन के लिए लाखों की भीड़

उज्जैन की सड़कों पर चलने की जगह नहीं थी। यही हाल ओंकारेश्वर मंदिर में जलाभिषेक के लिए था। गुजरात के शोभनाथ मंदिर और बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए लाखों की भीड़ थी। नागपंचमी के दिन जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन रुद्राभिषेक का भी अलग फल मिलता है। महाकाल के भक्त नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए दर्शन पूजन करते हैं। नागपंचमी के दिन अयोध्या, मथुरा वृन्दावन, काशी विश्वनाथ, माता पीतांबरा, मैहर देवी आदि मंदिरों में अपार भीड़ जमा थी। इस दिन मंदिरों से लेकर घरों तक में रुद्राभिषेक भी हो रहे थे।

अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए

माता पीतांबरा पीठ के चंद्र मोहन दीक्षित उर्फ चंद्रा गुरु और संजेश कृष्ण शास्त्री भागवताचार्य ने बताया कि माता के दरबार में अर्जी दाखिल करने वालों भक्तों की अपार भीड़ थी। अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने बताया कि जनसैलाब उमड़ पड़ा था। लेकिन सभी को हनुमान जी महाराज के दर्शन पूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सभी मंदिरों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए थे। निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट लगाए गए थे। बनारस के एडिशनल कमिश्नर मनीष राय ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए मारामारी नहीं होती है।कतार में सभी को जलाभिषेक करने का अवसर मिलता है। सिद्धपीठ कालिकन धाम के पुजारी श्री महाराज एक मंत्रोच्चारण से एक साथ 101 परिवारों को रुद्राभिषेक करवाया। जाने-माने ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण देव शुक्ल ने बताया कि रुद्राभिषेक में चार घंटे लगते हैं।