काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ा हैं शकंर- पार्वती का इतिहास

स्वामीनाथ शुक्ल | Hdn Live
वाराणसी। भगवान शिव(Lord Shiv) के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक काशी विश्वनाथ मंदिर(Kashi Vishwanath Temple) है। बनारस की मोक्षदायिनी गंगा नदी के पश्चिमी तट पर पहले की विश्वनाथ गली में सातवां ज्योतिर्लिंग है। प्राचीन काल में बनारस का नाम काशी था। जिससे बनारस के मुख्य देवता भगवान शिव को काशी और विश्वनाथ के दोनों नाम को आपस में जोड़कर काशी विश्वनाथ कहां जाता है। किंवदंतियों के अनुसार माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हो चुका था(History of Parvati)। लेकिन माता पार्वती अपने पिता के घर और भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते थे। कैलाश पर्वत पर भोलेनाथ का मन लगता नहीं था। जिससे भगवान शंकर माता पार्वती से मिलने के लिए ससुराल चले गए थे। भगवान शिव की वापसी में माता पार्वती साथ चलने की प्रार्थना की। जिससे भगवान शिव माता पार्वती को साथ लेकर काशी आ गए थे। फिर माता पार्वती और भगवान शिव काशी विश्वनाथ से कभी लौटकर वापस नहीं गए । तभी से काशी को मोक्षदायिनी कहा जाता है।

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मंदिर के अंदर अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है। भगवान शिव के सामने नंदी महाराज बैठे हुए हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब शहर कोतवाल भैरव बाबा का मंदिर है।शहर कोतवाल के दर्शन के बाद भगवान शिव का दर्शन पूजन माना जाता है। जिससे शहर कोतवाल के मंदिर में भी अपार भीड़ होती है। लेकिन सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होने से सभी को बारी बारी से दर्शन पूजन करने का अवसर मिलता है। सावन महीने में विदेशी सैलानियों से बनारस भरा है। जलाभिषेक करने वालों की रात-दिन कतारें लगी रहती है। काशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना 1780 में इंदौर के मराठा शासक अहिल्याबाई होलकर ने की थी। बाबा विश्वनाथ मंदिर में गोस्वामी तुलसीदास, आदि शंकराचार्य,संत एकनाथ वादकारी सम्प्रदाय का महान ग्रंथ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किए थे। इसी मंदिर में बैठकर गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस की रचना की थी।

इतिहास के पन्नों में आंकड़े बताते हैं कि कई मुस्लिम शासकों ने विश्वनाथ मंदिर को बार बार तोड़े है।मुगल शासक के औरंगजेब इस मंदिर को तोड़ने और गिराने वाला अंतिम मुस्लिम शासक था। इसी शासक ने मंदिर के स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया था। अदालत के आदेश पर सोमवार से ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे शुरू होना था। लेकिन सुप्रीम अदालत ने 26 जुलाई तक सर्वे पर रोक लगा दी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की नगरी बनारस बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल की नोक पर बसी है। बाकी बाबा विश्वनाथ को विश्व का शासक माना जाता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर ढाई बजे रात को खुलता है।तीन बजे से चार बजे के बीच मंगला आरती, सुबह चार बजे से 11 बजे तक आम दर्शन, सुबह 11,30 बजे से 12 बजे तक माध्यान भोग आरती,12 बजे से 7 बजे तक दर्शन,7 बजे से 8,30 बजे तक सप्त रिषि आरती,रात नौ बजे श्रृंगार भोग आरती,10,30 बजे से 11 बजे तक शयन आरती के बाद मंदिर बंद हो जाता है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसद चुने जाने के बाद से बनारस की तस्वीर बदल चुकी है। पहले संकरी गली, टूटी-फूटी सड़कें,बजबजाती नालियां, सड़कों पर कूड़ो का ढेर,जाम में फंसे दर्शनार्थी, चरमराई यातायात व्यवस्था, संकरी गली में मंदिर का मुख्य दरवाजा आदि से बनारस की पहचान थी। लेकिन मोदी और योगी के आने के बाद बनारस बदल चुका है। विश्वनाथ कोरिडोर बन चुका है। जिससे लाखों की भीड़ के बाद भी मंदिर खाली दिखता है।सावन के महीने में लाखों भक्त रोजाना दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन सड़कों पर गंदगी नहीं है। बनारस के अंदर चौड़ी चौड़ी सड़कें बन चुकी है। जिससे भीड़ का पता नहीं चलता है। जबकि बनारस के होटलों में ठहरने के लिए कमरे खाली नहीं है। अस्सी प्रतिशत जनता दर्शन के बाद वापस लौट जाती है। पीसीएस अधिकारी मनीष राय ने बताया कि बाबा विश्वनाथ मंदिर में सभी को दर्शन मिलता है। इतनी भीड़ के बाद भी किसी के साथ धक्का मुक्की नहीं होती है। मंदिर प्रशासन की नजर सभी पर होती है।

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सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े धीरज चाहर ने बताया कि काशी विश्वनाथ कोरिडोर बन जाने से लाखों की भीड़ हजारों में नजर आती है। बनारस के छोटे-छोटे मंदिरों को भी नया रुप दिया गया है। जिससे काशी विश्वनाथ मंदिर में विदेशी सैलानियों का मेला जमा रहता है। यहां पर 365 दिन कुंभ जैसे मेला जमा रहता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद महीने में एक-दो बार काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन और जलाभिषेक करने जाते हैं। बीच-बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बाबा के दरबार में माथा टेकने आते हैं। नवीन सिंह, लालजी तिवारी, रंजन पांडेय, आचार्य संतोष शास्त्री आदि ने बताया कि मंदिर के अंदर बहुत सुंदर दर्शन पूजन होता है। योगी सरकार के दो मंत्री बनारस के रहने वाले हैं।यह अलग बात है कि राज्यमंत्रियों का काम दिखता नहीं है। लेकिन बनारस के नाम पर योगी सरकार में मंत्री बने हैं।

कानपुर के एक बड़े अफसर मिथिलेश शुक्ल सपरिवार दर्शन पूजन करने आए थे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बनारस को स्वर्ग बना दिया है। भाजपा नेता अमरेंद्र सिंह पिंटू ने कहा कि बाबा के भक्तों की भीड़ हमेशा होती थी। लेकिन दर्शन में दिनभर लग जाता था। लेकिन मोदी और योगी के आने के बाद कोरिडोर बन जाने से घंटे भर में दर्शन हो जाते हैं। भाजपा के पूर्व विधायक स्व जमुना प्रसाद मिश्र के पुत्र अनिल मिश्र ने कहा कि सावन के महीने में मंदिरों के अंदर रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। लेकिन मंदिरों के पुजारी मुंह मांगी कीमत वसूल करते हैं। जिससे लोग घरों में रुद्राभिषेक ज्यादा करवाते हैं।