भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बयान जारी कर कहा है कि नेपाल सरकार ने जो आधिकारिक नक़्शा जारी किया है उसमें भारतीय क्षेत्र को दिखाया गया है, यह एकतरफ़ा हरकत ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है.
बयान में भारत सरकार ने आगे कहा है कि यह सीमाओं के मुद्दों को राजनयिक बातचीत के तरीक़ों से सुलझाने की द्विपक्षीय समझ के उलट है, इस तरह के कृत्रिम विस्तार के दावे भारत स्वीकार नहीं करेगा.
भारत ने कहा है कि नेपाल इस मामले में भारत की स्थिति से अच्छी तरह अवगत है और नेपाल सरकार से मांग है कि वो इस तरह के नक़्शे के ज़रिए अनुचित दावे से बचे और भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे.
इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान में यह उम्मीद भी की गई है कि नेपाल का नेतृत्व एक सकारात्मक वातावरण बनाते हुए राजनयिक बातचीत के ज़रिए सीमा मुद्दों को हल करेगा.
लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा बताया गया है.
हाल ही में नेपाल कैबिनेट ने एक नए नक़्शे पर मुहर लगाई थी जिसमें लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा बताया गया है.
नेपाल की कैबिनेट ने इसे अपना जायज़ दावा क़रार देते हुए कहा कि महाकाली (शारदा) नदी का स्रोत दरअसल लिम्पियाधुरा ही है जो फ़िलहाल भारत के उत्तराखंड का हिस्सा है.
छह महीने पहले भारत ने अपना नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया था जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ के रूप में दिखाया गया था.
इस मैप में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा बताया गया था. नेपाल इन इलाक़ों पर लंबे समय से अपना दावा जताता रहा है.
भारत ने लिपुलेख इलाक़े में एक सड़क का उद्घाटन किया था.
लिपुलेख से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के क़दम का विरोध किया था.