विश्वनाथ त्रिपाठी ने शंकर को राजकमल चौधरी स्मृति कथा सम्मान से किया सम्मानित

हरिकृष्ण यादव

नई दिल्ली। वरिष्ठ आलोचक, कवि और गद्यकार विश्वनाथ त्रिपाठी ने गुरुवार को परिकथा के संपादक शंकर जी को चौथा राजकमल चौधरी स्मृति कथा सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर पर त्रिपाठी जी के अलावा महेश दर्पण के गुरुजी राजकुमार शर्मा, परिकथा के संपादक शंकर, राज कमल चौधरी के सुपुत्र नील माधव चौधरी, जानकी प्रसाद शर्मा, हरियश राय ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ लेखक हीरालाल नागर ने किया।  

मंच का संचालन कर रहे वरिष्ठ कथाकार महेश दर्पण ने बताया कि इससे पहले वरिष्ठ साहित्यकार इब्बार रब्बी, पंकज बिष्ट और कवि विजेन्द्र को इस सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि कवि-संपादक विष्णु चंद्र शर्मा द्वारा ‘मित्रनिधि संस्था’ के माध्यम से प्रारम्भ किया गया यह सम्मान दो वर्ष के अंतराल में प्रदान किया जाता है। ‘मित्रनिधि संस्था’ की स्थापना विष्णु चंद्र शर्मा सहित पांच साहित्यकारों ने मिलकर की है। यह संस्था साहित्य, कला और संस्कृति से सरोकार रखती है। पहला राजकमल स्मृति सम्मान वर्ष 2016  में प्रसिद्ध कवि इब्बार रब्बी को प्रदान किया गया था। इस बार सम्मान के लिए कथाकार का चयन साहित्यकार जानकी प्रसाद शर्मा ने किया है।

इस बार के निर्णायक वरिष्ठ आलोचक जानकी प्रसाद शर्मा का कहना है कि कथाकार शंकर पिछले पांच दशकों से सृजनरत हैं। प्रगतिशील धारा के कहानीकारों में उनका अहम मकाम है। उनके छह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। 1988 में प्रकाशित पहले कहानी-संग्रह ‘पहिए’ ने कथाकार शंकर को व्यापक जन सरोकारों के कथाकार के रूप में शिनाख़्त दी। इसके बाद ‘मरता हुआ पेड़’ (2001), ‘जगो देवता जगो’ (2019), ‘एक बटा एक’ (2021), ‘बत्तियां’ (2022) और ‘सैल्यूट’ (2023) संग्रह प्रकाशित हुए।

दो वर्ष बाद सम्मान के लिए किसी कवि का चयन आलोचक आनंद प्रकाश करेंगे।