बिहार के 32 जिलों के 76 प्रखंड कोरोना संक्रमण से प्रभावित

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंगलवार को हुई सर्वदलीय बैठक में विधायकों को कोरोना से बचाव और इससे उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पल्स पोलियो की तर्ज पर घर-घर स्क्रीनिंग करायी जा रही है, ताकि कोरोना संक्रमितों की पहचान की जा सके। पूरे राज्य में 32 जिलों के 76 प्रखंड कोरोना संक्रमण से प्रभावित हैं। इनमें 529 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाये गये हैं। अब तक 136 लोग कोरोना से ठीक होकर अपने घर भी जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम नियमों का पालन करते हैं और हमारी हर परिस्थिति पर नजर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 मार्च को विधानमंडल की बैठक में कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए अनिश्चितकाल के लिए बैठक स्थगित कर दी गई थी। उसके बाद 22 मार्च को पूरे राज्य में प्रखंड मुख्यालय एवं नगर निकाय स्तर तक लॉकडाउन का निर्णय लिया गया। बाद में केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन किया गया, जो 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने हमलोगों के आग्रह पर तीन मई को संशोधित गाइडलाइन जारी की, जिसके आधार पर राज्य के बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों एवं छात्र-छात्राओं को आवागमन की छूट दी गई। इसके बाद उन्हें विशेष ट्रेन के माध्यम से लाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में ट्रेन से आ रहे लोगों की स्क्रीनिंग कराकर उन्हें संबधित जिले के मुख्यालय भेजा जा रहा है, जजां से उन्हें प्रखंड क्वारंटाइन सेंटर में रखा जायेगा, जहां भोजन, आवासन एवं चिकित्सा की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 में प्रोविजन किया गया है कि राज्य सरकार अपनी परिस्थितियों के अनुसार और कठोर कदम अपने राज्य में उठा सकती है।

मुख्यमंत्री बोले, फीडबैक के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सभी विधायक दल के नेताओं ने जो फीडबैक दिया है, उसे अधिकारियों ने नोट कर लिया है। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस बैठक का मकसद सभी राजनीतिक पार्टियों के विधायक दल के नेताओं से संवाद करना है ताकि उनसे भी फीडबैक एवं सुझाव लिया जा सके। प्राप्त सुझावों और उनके अनुभव के आधार पर आगे की रणनीति बनाने में मदद मिल सके।

बचाव कार्य में जनप्रतिनिधि भी लगाए जाएं : तेजस्वी

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार को सलाह दी है कि राहत व बचाव कार्य में जनप्रतिनिधियों को भी लगाना चाहिए। जनप्रतिनिधियों के सामने राहत वितरण होने से अधिकारी मनमानी नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा है कि केंद्र से जो भी सहायता राज्य सरकार को मिल रही है उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। कोरोना संक्रमित लोगों की जांच की संख्या बढ़ानी चाहिए। जांच कम होने से ही अब तक मरीजों की संख्या कम दिख रही है। रोज कम से कम तीन से पांच हजार तक जांच होनी चाहिए। अभी केवल 1000 या 12 सौ लोगों की ही जांच हो पा रही है।

सहायता राशि और अनाज वितरण में सहयोग करे विपक्ष : उपमुख्यमंत्री

कोरोना संकट पर विमर्श के लिए मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित सर्वदलीय बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विपक्ष से आग्रह किया कि वे केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से बैंकों के जरिए गरीबों को दी जा रही 12,612 करोड़ की सहायता राशि व खाद्यान्नों के वितरण में सहयोग करें। बिहार का कोई भी ऐसा गरीब नहीं होगा जिसे खाद्यान्न के अलावा उसके खाते में कम से कम 3 हजार रुपये की सहायता राशि नहीं जायेगी। विभिन्न राहत योजनाओं में राज्य सरकार 5,867 करोड़ तो केन्द्र 6,745 करोड़ डीबीटी के जरिए गरीबों को दे रही हैं। राज्य सरकार की ओर से 1.68 करोड़ राशनकार्डधारियों के खाते में एक-एक हजार प केन्द्र मुफ्त में 15 किग्रा. अनाज व 3 किलो दाल, उज्ज्वला की 85 लाख लाभुक महिलाओं को तीन-तीन गैस सिलेंडर दिए जा रहे हैं। बिहार देश का पहला राज्य है जिसने 19 लाख प्रवासियों के खाते में 1-1 हजार दिए। ट्रेन से आने वाले श्रमिकों को 21 दिन के क्वारंटाइन के बाद 500-500 रु. के साथ अगर किसी को किराया देना पड़ा है तो उसे एक-एक हजार दिए जायेंगे। जहां देश अन्य राज्यों ने अपने कर्मियों की पेंशन-वेतन में भारी कटौती की है, वहीं बिहार ने लॉकडाउन अवधि में उपस्थित नहीं रहने वाले कर्मचारियों को भी पूर्ण वेतन देने का निर्णय लिया है।