ग्रेच्युटी क्या है, कैसे कर सकते हैं कैलकुलेट – ग्रेच्युटी से जुड़े सभी सवालों के जवाब

आपने पढ़ा ही होगा कि ग्रेच्युटी से संबंधित उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक 2018, यानी ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल 2018 को गुरुवार को ही संसद से मंज़ूरी मिली है, जिसमें निजी क्षेत्र और सरकार के अधीन सार्वजनिक उपक्रम या स्‍वायत्‍त संगठनों के ऐसे कर्मचारियों के उपदान (ग्रेच्युटी) की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है.

ग्रेच्युटी क्या है…? ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट की जाती है…? मैं कब ग्रेच्युटी का हकदार बनूंगा…? ग्रेच्युटी के तौर पर मिली कितनी रकम टैक्स-फ्री होगी, और कितनी ग्रेच्युटी पर इनकम टैक्स देना होगा…? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो लगभग हर नौकरीपेशा इंसान के दिमाग में घूमते रहते हैं… रिटायरमेंट (या नौकरी बदलने पर) पर मिलने वाली इस रकम का इंतज़ार आमतौर पर इसलिए किया जाता है, ताकि तब तक पूरे न हो पाए सपने पूरे किए जा सकें, या उस रकम के ज़रिये अपने खर्चे चलाने का इंतज़ाम किया जा सके. ग्रेच्युटी ऐसी रकम है, जिसके बारे में बहुत ज़्यादा नौकरीपेशा लोग बहुत कुछ नहीं जानते, और अक्सर अपने साथियों, अपने ऑफिस के एकाउंट्स डिपार्टमेंट या कभी-कभी चार्टर्ड एकाउंटेंटों से भी सवाल करते देखे जाते हैं, सो आइए, आज हम ग्रेच्युटी से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब लेकर आए हैं.

क्या है ग्रेच्युटी…?
ग्रेच्युटी आपके वेतन, यानी आपकी सैलरी का वह हिस्सा है, जो कंपनी या आपका नियोक्ता, यानी एम्प्लॉयर आपकी सालों की सेवाओं के बदले देता है. ग्रेच्युटी वह लाभकारी योजना है, जो रिटायरमेंट लाभों का हिस्सा है, और नौकरी छोड़ने या खत्म हो जाने पर कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा दिया जाता है.

कब मैं ग्रेच्युटी का हकदार बनूंगा…?
ग्रेच्युटी किसी भी ऐसे कर्मचारी को दी जानी होती है, जो नौकरी में लगातार 4 साल, 10 महीने, 11 दिन तक काम कर चुका हो. ऐसे कर्मचारी की सेवा को पांच साल की अनवरत सेवा माना जाता है, और आमतौर पर पांच साल की सेवाओं के बाद ही कोई भी कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार बनता है. यानी अगर आप जल्दी-जल्दी, यानी साल-दो-साल में नौकरी बदलने का शौक या आदत रखते हैं, तो ग्रेच्युटी आपके हिस्से कभी नहीं आएगी. ध्यान रहे, 10 अथवा उससे अधिक लोगों को नियोजित करने वाले सभी निकायों के लिए उपदान भुगतान अधिनियम 1972 लागू है, जिसके तहत कारखानों, खानों, तेल क्षेत्रों, बागानों, पत्तनों, रेल कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में लगे वे सभी कर्मचारी शामिल हैं, जिन्होंने पांच वर्ष की नियमित सेवा प्रदान की है.

ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट की जाती है…?
ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का फॉर्मूला ज़्यादा मुश्किल नहीं है. पांच साल की सेवा के बाद सेवा में पूरे किए गए हर साल के बदले अंतिम महीने के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर उसे पहले 15 से गुणा किया जाता है, फिर सेवा में दिए गए सालों की संख्या से, और इसके बाद हासिल होने वाली रकम को 26 से भाग दे दिया जाता है, और वही आपकी ग्रेच्युटी है. यानी फॉर्मूला हुआ…

मान लीजिए, आपने किसी संस्थान में 21 साल 11 महीने नौकरी की है, और आपकी अंतिम बेसिक सैलरी 22,000 रुपये थी, जिस पर आपको 24,000 रुपये महंगाई भत्ता मिलता था… सबसे पहले यह समझिए, यहां आपकी नौकरी 22 साल की मानी जाएगी… इसके बाद आप 22,000 और 24,000 की रकमों को जोड़ेंगे, जिनसे आपके पास 46,000 की रकम आएगी. इस रकम को 15 से गुणा करने पर 6,90,000 मिलेगा. फिर इस रकम को आपको अपनी सेवा के साल, यानी 22 से गुणा करना होगा, और अब आपको 1,51,80,000 की रकम हासिल होगी. अब अंत में इस रकम को आप 26 से भाग देंगे, तो आपको मिलेगा 5,83,846, और बस, यही आपकी ग्रेच्युटी है.

ग्रेच्युटी का कितना हिस्सा टैक्स-फ्री है…?
अगर आपकी ग्रेच्युटी ऊपर बताए गए फॉर्मूले से ही कैलकुलेट की गई है, और आपके एम्प्लॉयर ने आपको अपनी तरफ से कोई रकम उपहार में नहीं दी है, तो 20,00,000 रुपये, यानी 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी के तौर पर मिलने वाली पूरी रकम टैक्स-फ्री होगी, यानी उस पर आपको किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा.