SBI और IOB ने ब्याज दरें घटाईं, होम लोन हुए सस्ते

रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती के बाद अब बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को देना शुरू कर दिया है. सार्वजनिक बैंक एसबीआई और आईओबी ने लोन की ब्याज दरों में मामूली कटौती की है. इससे होम लोन सस्ता हो गया है. कई अन्य छोटे बैंक इससे पहले अपने कर्ज पर ब्याज दर में कटौती की घोषणा कर चुके हैं. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने लोन की ब्याज दरों में 0.05 फीसदी की मामूली कटौती की है, तो इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) ने भी कर्ज की ब्याज दरों में 0.05 फीसदी की कटौती की है.

एसबीआई की नई दरें 10 अप्रैल से प्रभावी होंगी. नवंबर, 2017 के बाद एसबीआई ने पहली बार ब्याज दर में कटौती की है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बैंक ने अपने बयान में कहा कि संशोधित कोष की सीमान्त लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) को 8.55 से घटाकर 8.50 फीसदी कर दिया गया है. एसबीआई द्वारा करीब 17 माह बाद अपनी एमसीएलआर में कटौती की गई है. इससे पहले नवंबर, 2017 में एसबीआई ने एमसीएलआर में 0.05 फीसदी की कटौती की थी.

होम लोन पर इतना घटा ब्याज दर

एसबीआई ने संशोधित दर वाले 30 लाख रुपये तक के होम लोन पर भी ब्याज दर में 0.10 फीसदी की कटौती की है. इसके साथ अब 30 लाख रुपये से कम के होम लोन पर नई ब्याज दर 8.60 से 8.90 फीसदी होगी जो अभी तक 8.70 से 9 फीसदी है. भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में अपनी चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को चौथाई फीसदी घटाकर छह फीसदी किया था. एसबीआई तीसरा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है जिसने अपना लोन सस्ता किया है.

एसबीआई से पहले इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने भी एक साल और उससे अधिक की अवधि के कर्ज पर ब्याज दर में 0.05 फीसदी की कटौती की है. इंडियन ओवरसीज बैंक ने एक साल के ऋण पर एमसीएलआर को 8.70 प्रतिशत से घटाकर 8.65 प्रतिशत करने की घोषणा की है. वहीं, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने पांच अप्रैल को ही विभिन्न परिपक्वता अवधि के कर्ज पर ब्याज दरों में 0.05 प्रतिशत की कटौती की थी.

इंडियन ओवरसीज बैंक ने कहा था कि दो और तीन साल के कर्ज पर एमसीएलआर क्रमश: 8.75 और 8.85 फीसदी होगी. सोमवार को निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक ने भी अपने सीमान्त लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) में 0.05 से 0.10 फीसदी तक कटौती की थी. साल 2019 में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में दो बार कटौती कर चुका है. लोकसभा चुनाव से पहले यह वित्त वर्ष 2019-20 की पहली समीक्षा बैठक थी. रिजर्व बैंक एक वित्त वर्ष में छह बार अप्रैल, जून, अगस्त, अक्टूबर, दिसंबर और फरवरी में अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है. हालांकि अप्रैल की समीक्षा का सबको इंतजार रहता है, क्योंकि इससे ही पूरे वित्त वर्ष का एक तरह का रुख तय हो जाता है.