नई दिल्ली (hdnlive). दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने शहर को बैगर फ्री (Beggar Free City) बनाने की योजना की शुरूआत की है. दिल्ली के समाज कल्याण विभाग ने भिखारियों को भिक्षावृति (Begging) से बाहर निकालकर उनको रोजगारपरक ट्रेनिंग देकर समाज की मुख्यधारा के साथ जोड़ने की योजना तैयार की है.
इसको लेकर दिल्ली सरकार ने स्किल ट्रेनिंग देने के लिए सेंट्रल जिल में दो सेंटर भी शुरू किए हैं. इनका उद्घाटन आज समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया. जहां भिखारियों को रोजगार परक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा.
पुनर्वास किया जाएगा
इस बीच देखा जाए तो इससे पहले फरवरी माह में समाज कल्याण विभाग ने दिल्ली में भिक्षावृत्ति में लगे लोगों का सर्वे भी किया था. इन सभी का पीईएबी के तहत पुनर्वास किया जाएगा. इस सर्वे में दिल्ली में 20719 भिखारियों की पहचान हुई है, जिसमें 10,987 पुरुष और 9,541 महिलाएं शामिल हैं.
समाज कल्याण मंत्री गौतम ने कहा कि विभाग सर्वेक्षण में मिले भिखारियों का व्यापक स्तर पर पुनर्वास की रणनीति तैयार कर रहा है. हमारा उद्देश्य भिखारियों का पुनर्वास कर दिल्ली को भिखारी मुक्त बनाना है. हम भिखारियों को कौशल प्रशिक्षण देंगे, ताकि वे रोजगार कर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें.
महिला-पुरूष के लिए बनाए गए हैं अलग-अलग स्किल सेंटर
यह दोनों केंद्र, आश्रय गृह कटरा मौला बक्स, रोशनारा रोड (पुरुष) और आश्रय गृह (ड्यूसिब नाइट शेल्टर), खैरिया मोहल्ला, रोशनारा रोड (महिला) पर क्रमशः पुरुष और महिला भिखारियों के पुनर्वास के लिए खोले गए हैं. दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग ने दिल्ली में भीख मांग कर अपना गुजरा करने वाले लोगों की सर्वे रिपोर्ट पेश की है जिनका भीख मांगने के अधिनियम (पीइएबी) के तहत पुनर्वास किया जाएगा. इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक रश्मि सिंह भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं.
फरवरी 2021 में दिल्ली में भीख मांगने में लगे लोगों की पहचान करने के लिए जमीनी स्तर पर सर्वे शुरू किया था. इस सर्वेक्षण में यह पाया गया कि दिल्ली के सभी 11 जिलों में करीब 20,719 लोग भीख मांगकर अपना गुजारा करते हैं. इन 20,719 भीखारियों में से 53 फीसद यानि 10,987 पुरुष हैं, जबकि 46 फीसद यानि 9,541 महिलाएं हैं. वहीं, इसमें एक फीसदी यानि 191 ट्रांसजेंडर भी हैं, जो भीख मांग कर अपना गुजरा करते हैं, जबकि भिखारियों की सबसे अधिक संख्या पूर्वी दिल्ली में पाई गई है. यहां पर करीब 2,797 लोग भीख मांगने के काम में लगे पाए गए.
सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के कारण भीख मांगने के लिए मजबूर हैं
मंत्री गौतम ने कहा कि गरीबी के साथ-साथ कई अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप भिक्षावृत्ति का सहारा लेते हैं. लोग अपनी सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के कारण भीख मांगने के लिए मजबूर हैं. यह समाज का सबसे कमजोर वर्ग है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने ऐसे लोगों की पहचान के लिए एक पायलट आधार पर सर्वेक्षण किया और साथ ही एक योजना तैयार की है, जिसके जरिए भिक्षावृत्ति में लगे लोगों का पुनर्वास किया जा सके. भिखारियों का पुनर्वास करके दिल्ली को भिखारी मुक्त शहर बनाना है.
आजीविका आधारित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के लिए दो संगठनों को जिम्मेदारी दी गई है.
साथ ही, भिखारियों को रोजगारपरक प्रशिक्षण और कौशल विकास का अवसर प्रदान करना है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा आ सकें. रोजगार करके दिल्ली की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए अपना योगदान दे सकें. इस पायलट परियोजना का उद्देश्य भीख मांगने के कार्य में लगे लोगों के पुनर्वास के लिए एक स्थाई मॉडल तैयार करना है.
महिलाओं को दिया जाएगा जैम, जेली और अचार का प्रशिक्षण
इन दोनों केंद्रों पर आजीविका आधारित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के लिए दो संगठनों को जिम्मेदारी दी गई है. मोजेक प्रा. लिमिटेड संगठन को महिलाओं के लिए खाद्य प्रसंस्करण (जैम, जेली और अचार) का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए खारिया मोहल्ला में आश्रय गृह आवंटित किया गया है. वहीं, आश्रय अधिकार अभियान को कटरा मौला बक्स, रोशनारा रोड पर आश्रय गृह आवंटित किया गया, जिसमें पुरुषों के लिए वॉल पेंटिंग, मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा. एक बैच को यह प्रशिक्षण तीन महीने तक दिया जाएगा.
इस पायलट प्रोजेक्ट से प्राप्त अनुभवों को एमओएस एजेएंडई, गृह, दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूसीडी, ड्यूसिब, डीसीडब्ल्यू, डीसीपीसीआर, निषेध निदेशालय, राजस्व विभाग, आईएचबीएएस, कमजोर समूहों के साथ काम करने के क्षेत्र में सक्रिय समुदाय आधारित संगठनों