टीसीएस की पुनर्खरीद से अन्य आईटी कंपनियां उत्साहित नहीं

मुंबई। उद्योग की दिग्गज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज भले ही शेयरों की पुनर्खरीद पर विचार कर रही हो, लेकिन अन्य अग्रणी आईटी कंपनियां शायद ही इस समय इस राह पर चलेंगी। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा, अन्य भारतीय आईटी कंपनियों की तरफ से शेयरों की पुनर्खरीद इस समय आकर्षक नजर नहीं आ रही हैं, खास तौर से इसलिए क्योंकि ये कंपनियां नकदी संरक्षण पर जोर दे रही हैं या कोविड-19 के कारण पैदा हुई कारोबारी चुनौतियों के बीच चुनिंदा अधिग्रहण को सही मान रही हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से लागू पुनर्खरीद कर भी इस साल उसे कम आकर्षक बना रहा है। पिछले हफ्ते नियामकीय सूचना में टीसीएस ने कहा था, कंपनी बुधवार को आयोजित बोर्ड बैठक में शेयरों की पुनर्खरीद पर विचार करेगी। कंपनी ने हालांकि इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।

प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न के श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, लाभांश के मुकाबले पुनर्खरीद आकर्षक विकल्प था क्योंकि यह कर मुक्त था और लाभांश के साथ वितरण कर जुड़ा हुआ था। लेकिन पिछले साल सरकार ने पुनर्खरीद कर लागू कर दिया और इसने दोनों विकल्पों के लिए एकसमान मौका मुहैया करा दिया। उन्होंंने हालांकि कहा कि शेयर के लिए पुनर्खरीद सकारात्मक अवधारणा है क्योंकि टीसीएस ऐसे समय में सुदृढ़ता का संकेत देना चाहती है जब अन्य क्षेत्र अभी भी महामारी से जूझ रहे हैं। यह शेयरधारकों को पुरस्कृत करने और अतिरिक्त नकदी लौटाने का तरीका है।

जुलाई में पेश पिछले साल के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर 20 फीसदी पुनर्खरीद कर लागू किया था। यह कर आय वितरण पर लागू होगा। वितरित आय से मतलब कंपनी की तरफ से पुनर्भुगतान पर दी गई रकम और ऐसे शेयर जारी करने पर कंपनी की तरफ से जुटाई गई रकम का अंतर है। इसकी दूसरी वजह यह है कि ज्यादातर आईटी कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग काफी महंगे मूल्यांकन पर हो रहा है, ऐसे में उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले साल की तरह अन्य आईटी कंपनियां शायद ही यह कदम उठाएंगी।

जून 2018 में जब टीसीएस ने आखिरी बार 16,000 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद की घोषणा की थी तब अन्य आईटी कंपनियों मसलन विप्रो, इन्फोसिस और टेक महिंद्रा ने भी इसी तरह का ऐलान किया था। इसके अलावा सास्केन टेक, एम्फैसिस और सायंट ने भी ऐसा ही कदम उठाया था।