नेपाल सरकार: विदेशी महिला को नागरिकता लेने के लिए 7 साल करना होगा इंतज़ार

नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने विदेशी विवाहित महिलाओं को शादी के 7 साल बाद नागरिकता देने के कानून को रविवार को संसदीय समिति से बहुमत से पारित कर दिया. नेपाल में संसदीय राज्य मामलों और सुशासन समिति ने नागरिकता अधिनियम 2063 में एक संशोधन विधेयक को पारित किया है. अब इससे नेपाली पुरुषों से विवाहित विदेशी महिला के लिए नागरिकता हासिल करने के लिए सात साल तक इंतजार करना अनिवार्य हो जाएगा.

वहीं भारतीयों से शादी करने वालों के लिए नागरिकता हासिल करना कठिन रहा है और इसमें काफी समय लगता है. भारत के नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, ” कोई व्यक्ति जो भारत के नागरिक से विवाहित है तो नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करने से पहले उसे सात वर्षों तक भारत में होना चाहिए.”

यह सब कुछ ऐसे समय हो रहा है जब काठमांडू इस बात पर विचार कर रहा है कि राष्ट्र की निर्णय प्रक्रिया में भारत के प्रभाव को कम करने के लिए नागरिकता के नियमों को कैसे कड़ा किया जाए.

यह नया मामला नेपाल के विवादास्पद मानचित्र संशोधन बिल को पारित करने के कुछ दिनों बाद सामने आया है. समाजवादी जनता पार्टी नेपाल की संसद की एक मात्र सदस्य सविता गिरि ने इसका विरोध किया था. सविता गिरि भारतीय मूल की नेपाली हैं. बिहार में जन्मी और पली-बढ़ी सविता गिरी ने मधेस यानी तराई क्षेत्र में नेपाल के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में शादी कर ली थी. इस परिवार का बिहार से बहुत बड़ा संबंध है.

नेपाल में नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर विरोध के सुर भी देखने को मिल रहे हैं. सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रस्ताव का विरोध करने वालों में नेपाल की तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों के साथ कई एनजीओ भी शामिल हैं. नाकरिकता कानून के मसौदे पर पिछले दो साल से बहस जारी है.

समिति के अध्यक्ष शशि श्रेष्ठ ने कहा, “नागरिकता संशोधन विधेयक को बहुमत हासिल है. नेपाल में सात साल तक लगातार रहने के बाद एक नेपाली पुरुष से विवाहित विदेशी महिला को नागरिकता दी जाएगी.” इस संसदीय समिति में सत्ताधारी पार्टी के 16 सदस्य हैं.

बता दें कि पहले नेपाली पुरुष से शादी करने पर विदेशी महिला को नागरिकता के साथ अन्य अधिकार मिल जाते थे. हालांकि, नेपाली कांग्रेस, समाजवादी जनता पार्टी नेपाल ने इस प्रावधान को “असंवैधानिक” बताते हुए विरोध किया था. इनका कहना था कि यह अंतरिम संविधान 2006 के प्रावधान के विरुद्ध है, जिसके अनुसार नागरिकता अधिनियम 2063 के तहत नेपाली पुरुष से शादी के बाद विदेशी महिलाओं को नागरिकता मिल जाती थी.