इतना आसान नहीं होता….

~कमलेश जाखड़ 

गिरकर फिर से उठने की कोशिश में संभलकर चलना संभलकर चलते -चलते फिर गिरने से बचना, संभलकर चलते -चलते और गिरने से बचते -बचते फिर से उठने की कोशिश करना और इन सबके बीच गिरने से बचने और संभलकर चलने के बीच तालमेल बैठाकर फिर से उठने की कोशिश करना , इतना आसान नहीं होता

विश्वास की राह पर चलते -चलते डगमगाना, डगमगाते -डगमगाते गिरकर विश्वास खो देना, खोया हुआ विश्वास फिर से पाने का नया विश्वास मन में जगाना, विश्वास का नया बीज फिर से अपने अंदर बोकर उसे सींचना, टूटे विश्वास को नए विश्वास के बीज के सहारे सींचकर फिर से उगाना, उगते हुए विश्वास के बीज और खो चुके आत्मविश्वास के बीच नए विश्वास से फिर से आत्मविश्वास को पा लेना, इतना आसान नहीं होता

उम्मीद खो देने पर नाउम्मीदी के दौर में खोई हुई उम्मीद को फिर से पा लेने की उम्मीद में टूटी हुई उम्मीद फिर से उम्मीद बन जाएगी यह उम्मीद रखना, इतना आसान नहीं होता

सफलता की डगर पर चलते-चलते असफलता का दामन थामना और फिर असफलता का दामन छोड़कर फिर से सफलता के मिलने की चाहत में असफलता के साए को उम्मीद और विश्वास के दिए के सहारे चीरकर सफलता का दामन फिर से थाम लेना, इतना आसान नहीं होता, इतना आसान नहीं होता