डॉक्टरों पर हमले रोकने के लिए आईएमए ने सरकार से कानून बनाने की मांग की

नई दिल्ली. भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह चिकित्सा कर्मियों पर ड्यूटी के दौरान होने वाले हमले को रोकने के लिए तत्काल कानून (Law) लाएं. देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस (Corona infection) संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले की खबरों के बीच आईएमए ने यह मांग की है. व्यापक स्तर पर ‘व्हाइट अलर्ट’ का आह्वान करते हुए आईएमए ने देश के डॉक्टरों और अस्पतालों से कहा कि वह इस तरह के हमलों के खिलाफ विरोध स्वरूप अपने-अपने स्थानों पर मोमबत्ती जलाएं.

आईएमए ने डॉक्टरों और अस्पतालों को संबोधित करते हुए लिखे गए पत्र में कहा, ” सफेद कोट के साथ मोमबत्ती जलाएं. व्हाइट अलर्ट सिर्फ आगाह करने के लिए है.” आईएमए ने कहा, ”कोविड-19 ने हिंसा और दुर्व्यवहार को लेकर चिकित्साकर्मियों को जागरूक कर दिया. सामाजिक बहिष्कार हर जगह हैं. प्रशासन के द्वारा परेशान किया जाना कुछ नहीं बल्कि सत्ता के द्वारा की गई हिंसा मायने रखती है.” डॉक्टरों की इस इकाई ने कहा है कि अगर सरकार ने इस तरफ कोई कदम नहीं उठाए तो वे 23 अप्रैल को ‘काला दिवस’ मनाएंगे.

मुरादाबाद में डॉक्टरों पर हमला हुआ था

बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर हमले हो रहे हैं. बीते 15 अप्रैल को मुरादाबाद में नागफनी के नवाबपुरा मस्जिद हाजी नेब इलाके से कोरोना संदिग्ध लोगों को लेने पहुंची डॉक्टरों की टीम पर लोगों ने हमला बोल दिया था. जमकर पथराव किया गया था. इस हमले में एंबुलेंस और पुलिस की दो गाड़ियों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं. पत्‍थरबाजी में एक डॉक्टर सहित 3 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. मौके पर एसपी और डीएम पहुंच गए थे और लोगों को समझाने की कोशिश कर की थी.

आसपास के लोग इकट्ठा हो गए

घटना के बाद 108 एंबुलेंस में मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों का कहना था कि जब वे लोग कोरोना संदिग्ध को लेने पहुंचे तो आसपास के लोग इकट्ठा हो गए. इन लोगों का कहना था कि कोरेंटाइन में लोगों को खाना नहीं दिया जा रहा है. मौके पर 4 पुलिसकर्मी उन्हें समझाने के लिए पहुंचे. इस बीच भीड़ भड़क गई और उन्होंने पथराव शुरू कर दिया था.