UP के स्टांप एवं निबंधन विभाग में तबादला सूची आने के बाद खुली भ्रष्टाचार की पोल

स्वामीनाथ शुक्ल | hdnlive
लखनऊ। उत्तर प्रदेश(UP) के स्टांप एवं निबंधन विभाग(Stamp and Essay Department) में तबादला सूची आने के बाद भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है। जिससे तबादला नीति में हेराफेरी की पोल खुलने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi adityanath) की इमानदार सरकार पर सवाल लाजमी है। जांच पड़ताल की बारी आने पर सभी जिम्मेदार अपनी अपनी कुर्सी बचाने में जुटे हैं। पहले इसी तरीके के भ्रष्टाचार में मंत्री नंद गोपाल नंदी हट चुके हैं। बाकी ट्रांसफर सूची भी निरस्त हो गई थी। एक बड़े अधिकारी ने बताया कि इस विभाग के तबादले में हर एक स्तर पर गड़बड़ी की गई है। सबसे ज्यादा हेराफेरी रजिस्ट्रारों के तबादले में की गई है। योगी सरकार की तबादला नीति में तीन साल के ऊपर वाले अधिकारियों को जिले के बाहर तैनाती करना था। लेकिन स्टांप एवं निबंधन विभाग में तीन साल के ऊपर वाले अधिकारियों को तबादला नीति से बाहर छोड़ दिए हैं। इनके स्थान पर 4 माह,8 माह,9 माह, एक साल और दो साल के कार्यकाल वाले अधिकारियों के तबादले किए गए हैं। जिससे तबादले के दायरे में आने वाले आन्दोलन की तैयारी में जुटे हैं।

इनके समर्थन में संगठन के भी आने की खबर हैं। जिससे तबादले के भ्रष्टाचार की लड़ाई सड़क पर होना तय मानी जा रही है। लेन-देन के इस खेल में तबादला नीति के दायरे में आने वाले अधिकारी और कर्मचारी छूट गए हैं। जबकि जुगाड वाले बिना नियम कानून के मनचाही कुर्सी पर बैठ गए है। सुबोध कुमार राय गाजियाबाद सदर में 4 महीने रजिस्ट्रार थे। लेकिन जुगाड से गोरखपुर सदर के रजिस्ट्रार हो गए है। धीरेंद्र कुमार राय नौ माह चंदौली से लंभुआ सुल्तानपुर, ब्रजेश पाठक 8 माह कादीपुर सुल्तानपुर से रायबरेली,अजय धर्मराज सिंह एक साल सोनभद्र से वाराणसी, अवधेश मिश्र दो साल करनैलगंज गोंडा से फतेहपुर, धर्मेंद्र चौधरी दो साल आगरा से बांगरमऊ उन्नाव,भरत कुमार जुमनानी दो साल फिरोजाबाद से मोदी नगर गाजियाबाद पहुंच गए है।आधा दर्जन रजिस्ट्रारों को बिना आनलाइन आवेदन के ही सीधे ट्रांसफर किए गए है।

नवीन राय गाजियाबाद से कोच जालौन, अवनीश राय गाजियाबाद से हमीरपुर, आलोक जेवर गौतमबुद्धनगर से जलालाबाद शाहजहांपुर, हनुमंत प्रसाद गाजियाबाद से महोबा,विभा फतेहपुर से सोरांव प्रयागराज और संजय सिंह फिरोजाबाद से आगरा में जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि तीन साल से अधिक और छह साल से कम वाले करीब 25 रजिस्ट्रार तबादला नीति से अलग पडें है। जबकि तबादला नीति तीन साल के ऊपर वालो के लिए ही आई थी।भ्रष्टाचार के इस खेल में डिप्टी सीएम तक के आदेश रद्दी टोकरी में डाल दिए गए हैं। सहायक महानिरीक्षक नवीन सिंह सुल्तानपुर में केवल छह महीने के कार्यकाल के बाद बाराबंकी में तैनात किए गए हैं। जबकि तीन साल का कार्यकाल होता है। इनके स्थान पर अलका सिंह सुल्तानपुर में तैनात की गई है। जबकि अलका सिंह अयोध्या मंडल में पौने नौ साल पूरा कर चुकी हैं। तबादला नीति के अनुसार अलका सिंह की तैनाती अयोध्या मंडल के बाहर होनी थी। एक अधिकारी ने बताया कि तबादला नीति में तीन साल जनपद और सात साल मंडल है। सोनभद्र के रजिस्ट्रार अजय धर्मराज सिंह एक साल के अंदर ही वाराणसी भेजे गए हैं। जबकि पौने चार साल का कार्यकाल पूरा करने वाले एक रजिस्ट्रार के लिए डिप्टी सीएम तक ने मंत्री रवींद्र जायसवाल को पत्र लिखा था। लेकिन नियमानुसार तबादले के लिए डिप्टी सीएम तक का आदेश बेकार हो गया।

योगी सरकार की तबादला नीति पर भरोसा करने वाले रजिस्ट्रार लेन-देन नहीं किए थे। जिससे सीएम की पैरवी भी बेकार चली गई। एक साल की नई नौकरी वाले कनिष्ठ सहायक आबास रब्बानी अमेठी से सीधे लखनऊ की कुर्सी पर बैठ गए हैं। जबकि नई नियुक्ति में तीन साल तक तबादले का नियम नहीं है। लेकिन जेब गरम करने से नियम कानून बदल जाते हैं। श्याम सिंह विषेन गौतमबुद्ध नगर में सहायक महानिरीक्षक थे। लेकिन इन्हें हटाकर कानपुर भेजा गया है। इनके स्थान पर शशिभान मिश्र हरदोई से गौतमबुद्ध नगर भेजे गए हैं। गौतमबुद्ध नगर सबसे ज्यादा आमदनी वाला जिला माना जाता है। स्टांप एवं निबंधन विभाग में नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, सुल्तानपुर, बाराबंकी, गोंडा, उन्नाव, बागपत, मथुरा, आगरा आदि जिलों में तैनाती के लिए बड़ी रकम देनी पड़ती है। स्टांप एवं निबंधन विभाग के एक जिम्मेदार ने बताया कि इस बार तबादला नीति का बिल्कुल पालन नहीं किया गया है। मुंहमांगी कीमत पर आमदनी वाले जिले में तैनाती की गई है। तबादला नीति के दायरे में आने वाले ट्रांसफर नहीं पाएं है। लेकिन जुगाड़ी लोग बिना कार्यकाल पूरा किए ट्रांसफर पा गए हैं। स्टांप एवं निबंधन विभाग में 129 को नई जिम्मेदारी पर भेजा गया है।

46 रजिस्ट्रार,17 सहायक महानिरीक्षक और कनिष्ठ सहायकों के तबादले किए गए हैं। जबकि 30 नए रजिस्ट्रार की तैनाती की गई है।19 रजिस्ट्रार प्रोन्नति पाकर सहायक महानिरीक्षक के पद पर तैनात किए गए हैं। 8 सहायक महानिरीक्षक प्रोन्नति पाकर उप महानिरीक्षक के पद पर तैनात किए गए हैं। सहायक महानिरीक्षक और उप महानिरीक्षकों की तैनाती प्रमुख सचिव लीना जौहरी की कलम से की गई है। जबकि रजिस्ट्रारों के तबादले महानिरीक्षक निबंधन कंचन वर्मा के हस्ताक्षर से हैं। एक कनिष्ठ सहायक ने बताया कि ट्रांसफर के लिए आनलाइन आवेदन भी नहीं किए थे। लेकिन जुगाड था। जिससे वाट्स अप पर नाम और डिटेल भेजने के बाद सीधे जौनपुर ट्रांसफर हो गया है। आनलाइन आवेदन करने वाले सब पड़े रह गए हैं। एक उप निबंधक ने बताया कि जिसने मोटी रकम जमा की थी।उन सभी का ट्रांसफर हो गया है। लेकिन जो नियमानुसार तबादला चाहते थे। उनके ट्रांसफर नहीं हुए हैं। ट्रांसफर के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार पर एक मंत्री ने कहा कि योगी की नजर सब पर है। इसमें कोई बचेगा नहीं।