UP SCAM : स्टांप एवं निबंधन विभाग के तबादले में खुलेआम धांधली


स्वामीनाथ शुक्ल | hdnlive
लखनऊ । उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) के स्टांप एवं निबंधन विभाग (Stamp and Registration Department) के तबादले में खुलेआम धांधली की खबर है। जिससे सालाना तबादला नीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लेन-देन के इस खेल में तबादला नीति के दायरे में आने वाले अधिकारी और कर्मचारी वंचित रह गए हैं। जबकि जुगाड वाले बिना नियम कानून के मनचाही कुर्सी पर बैठ गए हैं। जिससे योगी आदित्यनाथ( CM yogi adityanath) की सरकार पर विश्वास करने वाले लोग तबादला नीति से बाहर पड़े हैं।अब उन्हें एक साल और इंतजार करना पड़ेगा। भ्रष्टाचार के इस खेल में डिप्टी सीएम (Dy. CM) तक के आदेश रद्दी टोकरी में डाल दिए गए हैं। जिससे मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने जाना बिल्कुल तय माना जा रहा है।

डिप्टी सीएम ने मंत्री रवींद्र जायसवाल तक को पत्र लिखा था

सहायक महानिरीक्षक नवीन सिंह सुल्तानपुर में केवल छह महीने के कार्यकाल के बाद बाराबंकी में तैनात किए गए हैं। जबकि तीन साल का कार्यकाल होता है। इनके स्थान पर रजिस्ट्रार से सहायक महानिरीक्षक बनी अलका सिंह सुल्तानपुर में तैनात की गई है। जबकि अलका सिंह अयोध्या मंडल में 8 साल 9 महीने का कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं। तबादला नीति के अनुसार अलका सिंह की तैनाती किसी अन्य मंडल में होनी थी। सोनभद्र के रजिस्ट्रार अजय धर्मराज सिंह दो साल के अंदर ही वाराणसी भेजे गए हैं। जबकि पौने चार साल का कार्यकाल पूरा करने वाले रजिस्ट्रार के लिए डिप्टी सीएम ने मंत्री रवींद्र जायसवाल तक को पत्र लिखा था। लेकिन नियमानुसार तबादले के लिए डिप्टी सीएम तक का आदेश बेकार हो गया। क्योंकि लेन-देन नहीं किए थे। जिससे सीएम की पैरवी भी बेकार चली गई।

कनिष्ठ सहायक आबास रब्बानी अमेठी से सीधे लखनऊ की कुर्सी पर बैठ गए

एक साल की नई नौकरी वाले कनिष्ठ सहायक आबास रब्बानी अमेठी से सीधे लखनऊ की कुर्सी पर बैठ गए हैं। जबकि नई नियुक्ति में तीन साल तक तबादले का नियम नहीं है। लेकिन जेब गरम करने से नियम कानून बदल जाते हैं। श्याम सिंह विषेन गौतमबुद्ध नगर में सहायक महानिरीक्षक थे। लेकिन इन्हें हटाकर कानपुर भेजा गया है। इनके स्थान पर शशिभान मिश्र हरदोई से गौतमबुद्ध नगर भेजे गए हैं। गौतमबुद्ध नगर सबसे ज्यादा आमदनी वाला जिला माना जाता है। सबसे ज्यादा मालामाल करने वाले गौतमबुद्ध नगर में तैनाती पाते हैं।

मुंहमांगी कीमत पर आमदनी वाले जिले में तैनाती की गई है

स्टांप एवं निबंधन विभाग में नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, सुल्तानपुर, बाराबंकी, गोंडा, उन्नाव, बागपत, मथुरा, आगरा आदि जिलों में तैनाती के लिए बड़ी रकम देनी पड़ती है। स्टांप एवं निबंधन विभाग के एक जिम्मेदार ने बताया कि इस बार तबादला नीति का बिल्कुल पालन नहीं किया गया है। मुंहमांगी कीमत पर आमदनी वाले जिले में तैनाती की गई है। तबादला नीति के दायरे में आने वाले ट्रांसफर नहीं पाएं है। लेकिन जुगाड़ी लोग बिना कार्यकाल पूरा किए ट्रांसफर पा गए हैं। स्टांप एवं निबंधन विभाग में 46 रजिस्ट्रार,17 सहायक महानिरीक्षक और कनिष्ठ सहायकों के तबादले किए गए हैं। जबकि 30 नए रजिस्ट्रार की तैनाती की गई है।19 रजिस्ट्रार प्रोन्नति पाकर सहायक महानिरीक्षक के पद पर तैनात किए गए हैं। 8 सहायक महानिरीक्षक प्रोन्नति पाकर उप महानिरीक्षक के पद पर तैनात किए गए हैं।

उप महानिरीक्षकों पर प्रमुख सचिव लीना जौहरी जबकि रजिस्ट्रारों पर कंचन वर्मा के हस्ताक्षर हैं

सहायक महानिरीक्षक और उप महानिरीक्षकों की तैनाती प्रमुख सचिव लीना जौहरी की कलम से की गई है। जबकि रजिस्ट्रारों के तबादले महानिरीक्षक निबंधन कंचन वर्मा के हस्ताक्षर से हैं। एक कनिष्ठ सहायक ने बताया कि ट्रांसफर के लिए आनलाइन आवेदन भी नहीं किए थे। लेकिन जुगाड था। जिससे वाट्स अप पर नाम और डिटेल भेज दिए थे। जौनपुर ट्रांसफर हो गया है। आनलाइन आवेदन करने वाले सब पड़े रह गए हैं।उप निबंधक कार्यालय में अवैध रूप से लेन-देन के पद पर तैनात संदीप ने बताया कि जिसने मोटी रकम जमा की थी।उन सभी का ट्रांसफर हो गया है। लेकिन जो नियमानुसार तबादला चाहते थे। उनके ट्रांसफर नहीं हुए हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले में धांधली पर स्टांप एवं निबंधन विभाग के मंत्री रवींद्र जायसवाल के पीआरओ ने कहा कि मंत्री बाहर निकल गए हैं। जिससे मंत्री से बात नहीं हो सकती है। शनिवार को सचिवालय बंद था। जिससे अधिकारियों से बात नहीं हो सकी।